नेता जी चुनाव प्रचार में व्यस्त थे।
अचानक उन्हें एक व्यक्ति उन्हीं का चुनावी बैनर ओढ़ सोया दिखाई दिया।
वे दौड़कर उसके पास पहुंचे। चेहरे पर से बैनर हटा कर देखा तो पाया की वो उन्ही का कार्यकर्ता था ।
गुस्से से तमतमाए नेताजी ने पुछा-तू यहाँ सो रहा है चुनाव प्रचार क्यों नही कर रहा ।
कार्यकर्ता बोला - मैं वही तो कर रहा था ।
ये कैसा चुनाव प्रचार है ! नेताजी आश्चर्य से बोले ।
कार्यकर्ता बोला - मैं मन ही मन में आपका चुनाव प्रचार कर रहा था और अपने आप को मना रहा था की मेरा वोट आप को ही मिले ।
संजीव परसाई
Friday, November 14, 2008
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2 comments:
क्या बताये कार्यकर्त्ता इतना सोचते ही कहा है वो तो स्वहित और शान के लिए पार्टी प्रचार मैं लगे रहते है. उन्हें दूसरो कि भलाई से क्या मतलब. शायद उनकी आँखों पर स्वार्थ कि पट्टी बंध जाती है. चलो अच्छा है किसी के स्वार्थ के लिए ही नेता जी से कुछ का भला हो जाए.
क्या बताये कार्यकर्त्ता इतना सोचते ही कहा है वो तो स्वहित और शान के लिए पार्टी प्रचार मैं लगे रहते है. उन्हें दूसरो कि भलाई से क्या मतलब. शायद उनकी आँखों पर स्वार्थ कि पट्टी बंध जाती है. चलो अच्छा है किसी के स्वार्थ के लिए ही नेता जी से कुछ का भला हो जाए.
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