Sunday, May 4, 2025

Bhopal Talkies by Sanjeev Persai - Book Review by Ms. Manisha Sharma

ब्लॉकबस्टर फिल्म की तरह है ‘भोपाल टॉकीज’

क्यूँ भाई मियां, भोपाल टॉकीज चल रिये को क्या… ये बात भोपाल वासियों के लिए कोई नई नहीं है। तो चलिए ऑटो में बैठकर भोपाल टॉकीज चलते हैं। आप सोच रहे होंगे कि क्या वाकई में आज भी भोपाल टॉकीज उतनी ही शानोशौकत से खड़ी है, जैसे पहले थी? शायद नहीं, पर फिर भी मैं आपको भोपाल टॉकीज ले जाए बिना नहीं मानूंगी।

 आप सोच रहे होंगे कि भोपाल टॉकीज में ऐसा क्या है तो मैं स्पष्ट कर दूं कि मेरा आशय पुराने भोपाल में स्थित थिएटर से नहीं बल्कि हमारे अज़ीज़ संजीव (परसाई) भैया के सपनों की किताब भोपाल टाकीज से है. जिसमें हमें एक फिल्म की भान्ति प्यार, तकरार, इंकार ,इजहार, दोस्ती और चटपटी कहानियों  के साथ साथ एक अलग ही मसालेदार थ्रिलर का अनुभव मिलता है. यह किताब एक सफल और ब्लॉकबस्टर फिल्म की तरह कई पहलुओं को भी छूने की कोशिश है.

    जहां एक ओर ये किताब आपको भोपाल की नवाबी विरासत से रूबरू कराती है.वही दूसरी ओर ये हमें भोपाली लहजे के साथ भोपाल के इतिहास के रोचक पहलुओं को भी सामने लाती है. ये किताब रानी कमलापति जैसी बेगमों और बेगम सुल्तान शाहजहाँ के रुतबे को जानने का माध्यम भी है. भोपाल की  पहचान हमीदिया कालेज, भारत भवन, एमपी नगर, चौक बाज़ार  भोपाल ताल, जैसे अनेक स्रोतों की प्राचीन और नवीन स्थितियों से भी अवगत कराती है. 

किताब कुछ संजीदा पहलुओं को भी छूती है जिनमें भोपाल गैस त्रासदी, स्कूल मरघट मिठाई, भोपाल का मुजरा, जर्दा और पर्दा पर केंद्रित अध्याय विशेष है. इन सबके साथ साथ मनोरंजन की दुनिया में भी भोपाल टाकीज किताब ने अपनी बात काफी सुंदर ढंग से रखी है. दुष्यंत कुमार जैसे कवियों,जावेद अख्तर जैसे लेखक और गीतकार ,बशीर बद्र जैसे शायरों, रूमी जाफरी जैसी सिनेमा जगत की हस्ती और वरिष्ठ पत्रकार लेखक गिरिजा शंकर जी और विजय दत्त श्रीधर जी जैसे जाने  माने नामों  के बारे में भी हमारा ज्ञान वर्धन करती है.

 किताब भोपाल टाकीज अपने नाम के अनुरूप ही हमारी सारी जिज्ञासाओं और अपेक्षाओं पर पूरी तरह खरी उतरती है. आप सभी इसे अवश्य खरीदकर पढ़े और अपने अनुभव भी जरूर साझा करें।

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