Thursday, April 25, 2019

कुछ सवाल जो छूट गए थे...

(संजीव परसाई)

पर्दा उठता है,

राजा का शून्यकाल चल रहा था। सो राजा थककर चूर होने के बाद तनिक मन और तन दोनों को शून्य स्थिति में लाकर आराम दे रहे थे। जिससे आगे की राह के लिए ऊर्जा जमा हो सके।
दृश्य में अचानक एक मसखरे की एंट्री होती है
मसखरा अर्ज करने लगा - राजा साहेब, शून्य काल चल रहा है, कोई खास काम तो है नहीं, आओ बात करें, आप खुश हो जाओ तो जो आपको ठीक लगे मुझे इनाम दे दीजियेगा।
राजा ने पूछा-इसमें मेरा क्या फायदा???
मसखरे ने चकित होने का अभिनय किया , उसने कहा -ये सब तो मैं आपको खुश करने के लिए करना चाहता हूं, सरकार ।
राजा ने टका सा जवाब दे दिया - मैं तो वैसे ही खुश हूं। अब मसखरा रिरियाने लगा, अपने परिवार, काम धंधे की दुहाई देने लगा। रिरियाते हुए उसने पूछ लिया राजा जी, आपका भी कोई फायदा नुकसान होता है क्या?
मुझ गरीब का भी फायदा उठाओगे, इस राज्य में प्रजा, खजाना, सिस्टम, कोर्ट, सेना, पुलिस सब तो आपके ही हैं।
राजा ने कहा ये तो वो सब हैं, जो हमारा है ही, लेकिन जब तू मुझसे बात करेगा, सो फायदा तो तुझे भी होगा, मैं उस फायदे में से अपने फायदे की बात कर रहा हूँ।
मसखरा सन्नाटे में आ गया। कहने लगा - सरकार कुछ ऐसी बात करते हैं, जो आपकी, मेरी दोनों के फायदे की हो। हम सवाल सवाल खेलते हैं। मैं कुछ आसान से सवाल पूछूँगा, आप उनके आसान से जवाब दीजिए। बस इसे मीडिया में ठेल देंगे, लोगों को लगेगा कि हमारे राजा दूसरों से कितने अलग हैं।
आइडिया काम कर गया, मंत्री ने सवाल फाइनल कर दिए, मसखरे ने हिल हिलकर, हिनहिनाने का अभिनय करते हुए सवाल पूछे, राजा ने आत्ममुग्ध होकर जवाब भी दिए। सब खुश हुए, लोगों ने तालियाँ बजाई, मसखरा दरबार में जगह पाने में सफल रहा।
जनता ने इंटरव्यू देखकर पर माथा पीटने का अभिनय किया, जनता सोच रही थी कि राजा उनके सवालों पर बोलेंगे लेकिन मसखरे ने सब गड़बड़ कर दी। मीडिया ने जनता में हाहाकार मचने का अभिनय किया।
राजा ने मंत्री को बुलाया, कहने लगे - इस विदूषक ने तो समस्या खड़ी कर दी। अब जनता खीझ रही है, मंत्री ने पलेथन लगाया - सरजी वैसे सारे सवाल जनता के ही तो थे। जैसे आप आम कैसे खाते हैं, आप 10 साल की उम्र में कितने साल के थे, आप रोटियां अचार के साथ खाते थे या चटनी के साथ।
ये सब सवाल ही तो हमारी जनता के मन से निकले थे। कुछ लोग सवालों पर सवाल उठाकर उन सवालों पर सवालिया निशान लगा रहे हैं जो जनता के असली सवाल हैं। बाकी आप जो कहें वो हो जाएगा।
राजा ने कहा एक काम करो जनता से फिर से सवाल ले लो, पर देखना इस बार कोई गड़बड़ नहीं होना चाहिए। जी सरकार कहकर मंत्री पलटने ही वाला था कि राजा जी के मन में एक सवाल कौंधा, कि अगर जनता ने कोई आड़ा तिरछा सवाल पूछ लिया तो क्या होगा। मंत्री भी एक बारगी सोच में पड़ गया। कहने लगा - सरजी हमारी जनता दो क्लियर भाग में बंटी हैं। एक भाग की जनता कहती है कि राजा साहब से कोई सवाल नहीं पूछा जाना चाहिए, दूसरे भाग की जनता मानती है कि सवाल पूछने से भी कुछ होना नहीं है। बाकी आप चिंता न करें, में सब संभाल लूंगा। राजा को थोड़ा संतोष हुआ। अब मंत्री जनता से उनके सवाल पूछने लगा।
दृश्य दो - हफ्ते भर बाद मंत्री सिर झुकाकर दरबार में आया- साहेब मुझे माफ़ कर दीजिए, जनता ने तो वाकई कठिन सवाल पूछ लिए। चिंतित होने का अभिनय करते हुए राजा ने सवाल पढ़ने का आदेश दिया -
पहला राजा पहले डेढ़ रोटी और दाल खाते थे, क्या अब भी खाते हैं? दूसरा था राजा ने दुनिया के बडे राजे रजवाड़ों के साथ सेल्फी ली है, कोई दूसरा राजा बचा है जिसके साथ सेल्फी अभी लेना बाकी है। तीसरा सवाल राजा पहले आप गरीब थे, तब आप सुबह सुबह दिशा मैदान के लिए जाते थे तब लोटा प्लास्टिक का पसंद करते थे या कांसे का?
चौथा सवाल अब तो आप राजा है, सो  महल में टॉयलेट बना ही होगा, सो देश की जनता जानना चाहती है कि आप सुबह देसी पर आसन जमाते हैं या विदेशी पर। पांचवा था कि आप नाखून महीने में कितनी बार काटते हैं, आप शैम्पू-साबुन कौन सा यूज करते हैं। आपके कपड़ों पर इलेक्टिक आयरन होता है या स्टीम आयरन। सबसे कठिन सवाल पढ़ते हुए मंत्री के हाथ कांपने लगे और जवान लड़खड़ाने लगे, सवाल था  - आपको सिंगर में रफी पसंद हैं या खंडवा वाले किशोर कुमार। सवाल पढ़ते पढ़ते मंत्री की आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा, और वो मूर्छा गति को प्राप्त हो गया। राजा सोचने लगे- पड़ेंगा, कुछ तो करना ही पड़ेंगा..
पृष्ठभूमि में हवाओं की सन्न सन्न, ढोल नगाड़ों की आवाज और दूर से आतीं हल्की चीखों के साथ मधुर संगीत बजने लगे।

पर्दा गिरता है


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