Wednesday, August 8, 2018

द कंसल्टेंट - ए मिस्ट्री विथ नो हिस्ट्री

(संजीव परसाई) लड़का गले में लैपटॉप टांगे रेगिस्तान में भागे जा रहा था। चारों ओर घने अंधेरे और सनसनाती हुई हवाओं ने माहौल को और भयावह बना दिया था। पसीना पसीना हो चुका था, रुककर चारों ओर देखता और फिर दौड़ पड़ता। अचानक मोबाइल पर टिंग टोंग की आवाज ने उसे चौकाया, देखा तो बैंक से सैलरी क्रेडिट हुई है, वो हौले से मुस्कुराया और फिर दोगुनी ताकत से दौड़ पड़ा। उसे अपनी दौड़ का कहीं कोई अंत समझ नहीं आ रहा था, लेकिन फिर भी पूरी शिद्दत से भागे चला जा रहा था। सामने देखा कि कहीं से कोई रोशनी नजर आ रही थी। वो एक पल फिर रुका और रोशनी की ओर दौड़ पड़ा। लेकिन उसने देखा कि वो रोशनी उससे और दूर होते जा रही है। वो रुककर अपने अंतहीन रास्ते के बारे में सोचने लगा, थक कर चूर हो चुके पैरों को अपने ही हाथों से दबाने लगा। उसका पसीना नाक के सहारे जैसे ही जमीन पर गिरा, अचानक धरती फटी, बिजली चमकी और भगवान प्रकट हो गए।
वो आंखें फाड़े ये मंजर देखता रहा, वो शानदार मुकुट, डार्क  ब्ल्यू ब्लेज़र, एप्पल लैपटॉप, दूसरे में आईफोन, तीसरे में किंडल और चौथे से मुफ्त का डाटा रूपी आर्शीवाद बरसाते भगवान को देखकर मंत्रमुग्ध हो गया। भगवान ने अपनी मोहक मुस्कान से पूछा - वत्स तुम कौन हो, और इस तरह कहाँ भागे जा रहे हो। लड़का कहने लगा - भगवान मैं, एक कंसल्टेंट हूँ।
एक पल को भगवान भी चकरा गये। ये कंसल्टेंट कौन होता है, जरा विस्तार से बताओ। लड़का बताने लगा - सलाहकार होता है, भगवन, ये आज की सबसे बड़ी खोज है। आजकल काबिल लोगों को फांसने के लिए इसी शब्द का उपयोग किया जाता है, ये प्राणी प्रायः अपना जमीर साथ लेकर नहीं चलता है । वो इस संसार का ऐसा एम्प्लोई है, जिसको उसका एम्प्लॉयर और क्लाइंट दोनों ही नहीं अपनाते हैं।

भगवान अचरज से टोकते हुए बोले -वत्स ये क्लाइंट किस बला का नाम है? भगवन आप समझे नहीं जब एक काम को दो लोग मिलकर करते हैं तो उनमें से एक क्लाइंट होता है और वेंडर और वेंडर ही एम्प्लायर होता है । अब भगवान के माथे पर सलवटें ना शुरू हो गईं। वत्स, जहाँ तक मेरी समझ है जब एक लक्ष्य को दो लोग मिलकर प्राप्त करने का प्रयास करते हैं उसे तो पार्टनरशिप कहते हैं। कंसल्टेंट ठठाकर हंस दिया, बोला - भगवन आप वाकई भगवन हैं, बिलकुल भोले, ये सब इस दुनिया में नहीं होता. यहाँ तो बस यही चलता है।
फिर संभलकर बोला - भगवन, ये जो क्लाइंट होता है, न बस काम चाहता है, जिम्मेदारी से दूर भागता है। उसे बस के ऐसे आदमी चाहिए जो जैसा भी काम हो, उसे बिना ना नुकर के करने बैठ जाये और कोई समस्या न गिनाए। मौके पर गालियाँ भी खा ले और उफ भी न करे। वैसे भी आजकल काम के लोग हर किसी आलतू फालतू जगह काम करने तो जाते नहीं हैं, सो एडवाइजरी फर्म  के माध्यम से काबिल लोगों को फांस लिया जाता है। कंपनी प्रॉफिट देखती है, और क्लाइंट बिना टेंशन का काम देखता है, जिसमें न तो लोगों की सीधे हायरिंग करनी है न एचआर है, न कोई भविष्य कि जिम्मेदारी.....
सुनकर भगवान का दिमाग चक्कर खाने लगा। बोले - वत्स, तुम ये किस प्रकार के प्राणियों की बात कर रहे हो, हमने तो ऐसा मानव बनाया ही नहीं था। जी, भगवन, आपने नहीं ये ग्लोबलाइजेशन ने बनाया है, ये मात्र प्राणी नहीं है, प्राणियों की टीम है जो सिर्फ काम का क्रेडिट लेने के लिए बनाई जाती है। वो क्षण भर में भगवान की तरह व्यवहार करने लगता है । भगवान हैरत से आँखें घुमाते हुए बोले - क्या कह रहे हो, वत्स। क्या वो वाकई में भगवान होता है, जिसे तुम क्लाइंट कह रहे हो।

नहीं भगवान, है तो वो बस एक कमजोर हृदय का प्राणी, पर उसे बीच बीच में दौरे आते हैं, भगवान होने के। उसे क्वालिटी का अर्थ नहीं मालूम लेकिन इसके लिए अड़ जाता है। वो बच्चे पैदा करने के लिए भी एडवांस सॉफ्टवेयर की बात करता है। वो लोगों के पर्सनल डाटा के साथ उनकी साँसों को भी एनालिटिक्स में चाहता है, टेक्नोलॉजी के नाम पर नित नए रार करता है। जो उसने सालों से नहीं किया, उसे वो एक दिन में चाहता है। हफ्ते में एक बार बिल रोकने को धमकी भी परोक्ष रूप में दे ही देता है। भगवान आश्चर्य से बोले -ओ हो वत्स ये तो धंधे का चक्कर है। ये टेंडर से जुड़ा मसला तो नहीं है कहीं। लड़के ने हाँ में सिर हिलाया तो भगवान गंभीर मुद्रा में बोले  - वत्स, हम भी इसी के जले हुए हैं, हमारे यहाँ भी हमने जीवन-मृत्यु और धर्म-कर्म के डाटा का रियल टाइम डाटा फ्रेमवर्क बनाने के लिए एक टेंडर किया था। आइडिया ये था कि लोगों कि उम्र और आधार को इससे लिंक कर दें, जो यमराज के सेक्शन का लोड थोड़ा कम हो जायेगा। लेकिन सारे देवता अपनी अपनी बिजिनेस लाइन के डाटा का कंट्रोल मांगते हुए, आपस में उलझ गए तो हमें टेंडर टालना पड़ा। तुम हमारी मदद करोगे क्या वत्स इस टेंडर में । कर तो दूंगा सर, लेकिन मेरे कम्पनी पार्टनर को एक रिक्वेस्ट लेटर लगेगा, फिर रिसोर्स कॉस्टिंग करके आपको इन्फॉर्म करूँगा। इसके  साथ ही वो धूलभरे लैपटॉप बैग में से लैपटॉप निकालकर जमीं पर बैठ गया और भगवान् को भी अपने पास बैठाकर कम्पनी की सिमिलर प्रोजेक्ट परफोर्मेंस और ग्लोबल प्रेजेंस समझाने लगा । इस हालत में भी उसे बिजिनेस के बारे में ही सोचते देख भगवान मुस्कुरा दिए। बोले, वो तो मैं बाद में बताता हूँ, लेकिन वत्स मैं तुम्हारी समस्या समझ गया हूँ, लेकिन टू बी वैरी फ्रेंक,  इस मामले में तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता। लेकिन ये बताओ तुम भाग कहाँ रहे थे?
अरे भगवन, मुझे क्लाइंट ने बोला तुम्हें बस दौड़ना है, मैंने बॉस को बताया कि दौड़ने का प्रोजेक्ट है। फिर बॉस और क्लाइंट, दोनों ने मिलकर तय किया कि सामने जो लाइट दिख रही है न, आपको वहां तक दौड़ना है, सो मैं दौड़ने लगा। भगवान बोले - पर उस लाइट के पास क्या है?
वो मैं नहीं जानता भगवन, मुझे तो बस दौड़ना है। बॉस ने कहा है कि जब में उस लाइट तक पहुंच जाऊंगा तब मेरा प्रमोशन होगा। अब चलता हूँ, आपके चक्कर में लेट हो गया वो देखो बॉस का फोन भी आ रहा है...

सर आया , बस अभी आया सर....

पीछे से पत्नी बोली, जल्दी उठो, तुम तो बोल रहे थे कि आज कोई मीटिंग है...जल्दी तैयार हो जाओ तुम्हारे बॉस का फ़ोन भी आ रहा है। वो बैड से उचक कर सीधा बाथरूम में जा गिरा।

3 comments:

Unknown said...

सही ✅ आकलन ।

Unknown said...

निराशा के माहौल में एक युवा द्वारा लिखा गया आकर्षक ब्लॉग है सलूशन देते हुए किसी उपाय की पोस्ट का शायद 2019 के बाद ही उम्मीद की जानी चाहिए जब राउल दी विंची के नेतृत्व में मेरा देश नित नई ऊंचाइयों को छू रहा होगा।

Unknown said...

क्या बात है सर।।। बात ही बात में बात की बात लिख डाली।।। ये विशुद्ध रूप से हमारी कहानी है। हम सब की कहानी है।।। आपको बोला था कि consultant से clint बनने का माद्दा है हममे और consultant को इन्शान मानने की समझ भी। पर आप भी सुनते कहां हैं। but गज़ब उतारी है उलटे उस्तरे से।।जय हो।।।