Monday, August 7, 2017

व्हाट्स एप ग्रुप पर ठेला -ठाली

(संजीव परसाई) रम्मू,फत्तू, गोलू और किसन चारों दोस्त नहीं थे, उनका बस एक नाता था कि वे रोज सुबह मैदान में हलके होने साथ साथ जाते थे. स्वाभाविक है उनके बीच लोटा ज्ञान पर चर्चा भी होती थी. किसन ने देखा कि लोग इस ज्ञान चर्चा पर गंभीरता खोते जा रहे हैं, सो उसने एक बार दिशा मैदान से लौटते समय प्रस्ताव रखा, भाई ऐसा ये रोज रोज लेट आना या आगे पीछे आने से नहीं चलेगा. हम ऐसा करते हैं कि एक व्हाट्स एप ग्रुप बना लेते हैं, जो भी आगे-पीछे होगा या लेट होगा उसपर अपडेट करेगा. और एक फायदा अब गोलू बोला – भैया उसपे तो हम हलके होते होते भी चर्चा कर सकते हैं. और नियम बना लेंगे जो भी फुर्सत हो जायेगा ग्रुप पर बताएगा सो सब लोग एक साथ उठेंगे. आइडिया चल निकला, अब सारे लोटा छाप अपना ग्रुप बना कर ढेर लगा रहे हैं.
व्हाट्स एप ग्रुप आज की हकीकत है, आज पूरी सरकार, यारी दोस्ती, व्यापार, गोलमाल, ठगी सब कुछ व्हाट्सएप ग्रुप पर चल रहा है. अभी सुनने में आया की एक चोरों का गिरोह पकडाया जो व्हाट्स एप ग्रुप बनाकर सूचनाओं का आदान-प्रदान किया करता था. सरकार में हर विभाग के अधिकारीयों से चपरासी तक के ग्रुप बने हुए हैं. अधिकारी अपने ग्रुप पर कम अपडेट करके अपनी जिम्मेदारी अपने मातहतों पर ठेल रहे है. बड़े साहब पूछने लगे – काम हो गया, सो बड़े बाबु कहने लगे सर, ग्रुप पर डाल दिया है. असल में ये परदे के पीछे मातहतों की खुशियाँ खाने का प्रोग्राम बनकर रह गया है. छोटे बाबु ने ऑफिस के ग्रुप पर एक जोक ठेल दिया, बड़े बाबु पहले तो खूब हँसे फिर उसे कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया. नोटिस में लिखा कि ये छोटा बाबु ख़ुशी-ख़ुशी काम करते हुए पाया गया. जो इसका अधिकार नहीं है, सरकार में काम तो हर दम रोते हुए करना चाहिए और इसने प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया है, सो क्यों न तुम्हें दो वेतन वृद्धि रोक कर रुलाया जाए. असल में क्योंकि सरकार में जो कर्मचारी रोता नहीं उसे रुलाया जाता है, फिर काम कराया जाता है. छोटे बाबु ने अपनी गलती मान ली, अब वो अपने ऊपर दबाव महसूस करके रोनी सूरत बनाकर काम करता है, बड़ा बाबू खुश है.

अब मोबाइल ग्रुप से ही भरा हुआ है, कभी कभी तो ग्रुप मोबाइल से निकल कर नीचे बिखर जाते हैं सो उन्हें सड़क पर उकडू बैठ कर समेटना पड़ता है. स्कूल के दोस्तों का, कोलेज के दोस्तों का, छः कम्पनियों में काम किया है सो उस सभी का, ससुराल वालों का, बिरादरी वालों सहकर्मियों का, लाइक माइंडेड का हल्कों का, ऑफिस का जूनियर का सीनियर का, सब्जी वालों और बीफ खाने वालों का, अनाज वालों का, भिखारियों का, बीमारियों का, लुटे हुओं का पिटे हुओं का, कद्दू पसंद करने वालों का लौकी के दुश्मनों का, समर्थकों  विरोधियों का, पत्रकारों का सरकार के पिट्ठुओं का...सबने अपने अपने ग्रुप बना रखे हैं. सब अपने ग्रुप पर ज्ञान आधारित समाज बनाने की दिशा में बढ़ चले हैं. चुटकुलों और अफवाहों को प्रसारित करने में इन सबका योगदान इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जायेगा. अब प्रशासन और प्रबंधन में असफल होने पर काम में टेक्नोलॉजी को शामिल करने के नाम पर व्हाट्स एप ग्रुप बनाने का रिवाज है. जल्दी ही मेनेजमेंट की कक्षाओं में व्हाट्स एप ग्रुप प्रबंधन भी सिखाया जायेगा. दुनिया के टॉप मेनेजमेंट गुरु सी.के. प्रहलाद सर ये जानकर सर पीट लेंगे कि सरकार अब व्हाट्स एप ग्रुप पर चल रही है. लेकिन सरकार खुश है कि उसका काम अब तेजी से होता दिख  रहा है, जल्दी ही व्हाट्स एप ज्ञान को ही असली ज्ञान का दर्जा देने के लिए कानून लाया जायेगा. सब खुश...चलो बजाओ तालियाँ 

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