(संजीव परसाई) बाबा अपनी मर्सडीज
से निकला और लपककर गादी पर बैठ गया, नीचे भक्त शाष्टांत हो गए. बाबा ने ऊपर वाले
का नाम लेकर हुंकारा लगाया, भक्तों ने भी साथ दिया. अब भक्तों की बारी थी, सो
भक्तों ने बाबा के नाम का जयकारा लगाया, सो बाबा मुस्कुरा दिया. नीचे हाथ जोड़े बैठे
नेता ने बाबा को व्हाट्सएप पर मेसेज किया – छा गए गुरु....लगे रहो. बाबा ने इगनोर
कर दिया और देवताओं और असुरों के बीच युद्ध में देवताओं की जीत का किस्सा सुनाने लगा. भक्त भावनाओं के सागर में हिलोरें लेने लगे. युद्ध में देवताओं की जीत
पर भक्तों ने बाबा के नाम का जयकारा लगाया....बाबा मुस्कुरा दिया
बाबा दुनिया के हर
धर्म और देश में पाए जाते हैं, लेकिन हमारे बाबा सबसे अनूठे है. दूसरों को माया मोह से दूर रहने की सलाह देता है, और खुद उसी के पास बैठा रहता है. भले ही दुसरे
धर्मों और देशों में पढ़ लिखकर बाबागिरी के धंधे में आते हैं. निठल्ले, नकारे और शातिर होना पहला क्वालिफिकेशन है. बाबा होने के लिए न ही ज्ञान न ध्यान की जरुरत है. वेदों
और शास्त्रों की सुनी सुनाई बातों को मिर्च मसाला लगाकर भोले भले जनमानस को ठेल
दो, वो गदगद और उसकी जेब अपनी. ये एक मात्र धंधा है जिसमें लोग लुटने के लिए न
सिर्फ खुद आते हैं बल्कि अपने घर परिवार, खानदान, पुरा-पड़ोस तक को खींच लाते हैं.
और आगे चलकर यही वोट में बदल जाते हैं. नेता ने बाबा को फिर मेसेज किया – गुरु हम
भी बैठे हैं, नीचे जरा हमें भी ऊपर बुलवा लो, जनता से थोडा हम भी मुखातिब हो लें.
बाबा ने प्रवचन झाड़ते हुए सन्देश दिया , कि
कभी भी आपको आपकी किस्मत से अधिक नहीं मिलता, जब तक तुम देवता और संतों के
काम नहीं आओगे सो ये परमात्मा तुम्हारे कैसे काम आएगा. नेता समझ गया कि बाबा
सरकारी जमीन को कब्जाने की फ़ाइल की बात कर रहा है. सो अगला मेसेज डाला की फ़ाइल हो
गई है, बस आदेश निकलने हैं. बाबा ने फिर इग्नोर कर दिया, लेकिन भक्तों को कहा की
भगवान् आपके वादे पर कभी संदेह नहीं करता लेकिन जब आपका वादा पूरा करोगे तब ही
भगवन आपको प्रसाद देता है. अतः भक्तों भगवान् और संतों के सामने किये गए वादे को
हमेशा निभाओ, तभी भक्तों का आशीर्वाद मिलेगा. धर्म का ठेकेदार नेता दो घंटे अपने
सामने धर्म की ऐसी-तैसी होते देखता रहा. और जब समझ गया कि बाबा हाथ नहीं आने का.
सो हाथ जोड़कर बाहर निकल गया.
युद्ध का प्रसंग
वर्णन करते हुआ बाबा अपने ईगो में मुस्कुरा दिया. शाम को बाबा के खिलाफ एक पुराने
केस में चार्जशीट दाखिल हो गई. न्यूज चैनल में बाबा की खाट खड़ी होने लगी. नेता एक
सभा को संबोधित कर रहा था, बाबा ने नेता को मेसेज किया – अरे गुरु तुम तो गुस्सा
हो गए... नेता ने इग्नोर कर दिया. जनता को संबोधित करके बोले हम धर्म की राजनीति
नहीं करते, हमारा धर्म तो आम लोगों की सेवा करना है. इसलिए हम ईगो नहीं पालते.
हमारी तो सब कुछ ये जनता ही है. बाबा ने फिर मेसेज डाला – केस तो तुम्हारे भी
पेंडिंग हैं, कहो तो तुम्हारे बड़े नेता से बात करूँ. नेता ने इगनोर कर दिया और
जनता से कहा – जब तक हमें आप लोगों का साथ है, ऊपर वाला भी हमारा कुछ नहीं बिगाड़
सकता. जनता ने नेता के नाम का जयकारा लगाया. नेता इगो में मुस्कुरा दिया. बाबा समझ
गया कि ये आसानी से मानने वाला नहीं है. बाबा ने अगला मेसेज विरोधी दल के नेता को
डाला और उसे अपने प्रवचन में बुलाया. उधर अख़बारों में खबर चली गई की विरोधी नेता बाबा
के प्रवचन में जा रहा है, बाबा मुस्कुरा दिया.
सुबह सुबह विरोधी
नेता बाबा की गादी के बगल में हाथ जोड़कर खड़ा हुआ और आशीर्वाद लेकर निकल गया. बाबा
के भक्त समझ गए कि इस बार झंडा पार्टी को वोट देना है. झंडा पार्टी की सरकार आ गई,
बाबा अब खुश है उसका धंधा भी खूब चला रहा है, उधर बाबा के केस खुल गए, बाबा अब जेल
जाएगा, बाबा की संपत्ति जब्त होगी. देश के सब छोटे बड़े बाबाओं को सबक मिल गया. पागल भक्त थोड़े दिन पगलायेंगे, नेता अपनी
दुकानदारी चमकाने के लिए फिर एक बाबा गढ़ेगा, गोदी मीडिया उसकी ब्रांडिंग करेगा, जनता
उसके चक्कर लगाने लगेगी और इसी तरह धर्म की मिटटी पलीत होती रहेगी.
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