Thursday, November 13, 2014

गधे, तमंचे और नसबंदी का जश्न...


सुनिए तो...अरे सुनिए न......सुन रहे हैं आप...मैं बोल रही हूँ...अरे नहीं समझे, एक औरत खालिस भारतीय...

चलो जश्न शुरू करो, मैं आपके जश्न की तैयारियां करती हूँ..., खुशियों से चीखें, नाचें और अपने मर्द होने और बने रहने के लिए भगवान, अल्लाह के साथ तंत्र और  नीति निर्धारकों को शुक्रिया करना मत भूलियेगा.

मौका भी है और दस्तूर भी खुशियाँ मनाइए कि आप मर्द हैं, और आपने अपनी मर्दानिगी को समय समय पर साबित भी तो करते रहते हैं. ताजा तीन मामले पहला एक महिला को पंचायत के हुक्म पर नंगा करके गधे पर बिठाकर घुमाया गया, 12 महिलाओं को नसबंदी शिविर में लापरवाही से मार दिया गया, तीसरा एक महिला डांसर को मदमस्त पुलिसवाले ने तमंचे के बल पर घंटा भर नचाया, आपने उसका भी खूब मजा लिया. आपको भी तो मजा आया होगा न....

आज आप खाने में क्या लेंगे...कुछ नानवेज बनाऊं क्या आपके लिए....

मैं कितनी भाग्यशाली हूँ की हम उस समाज में जी रहे हैं, जो मंगल और रसातल दोनों और सामान गति से जा रहा है, दोमुहें सांप की तरह. मंगल गृह पर अपनी उपस्थिति और विकसित देशों में भारत का नाम आता देखकर गुदगुदी होती है. है न....शीर्ष देशों में शामिल तो हो जायेंगे, मंगल तो हमारा पडोसी है  उससे भी आगे जा सकते हैं, लेकिन जो कुलीनता उतारकर खूंटी पर टांग दी है धारण करना मत भूलियेगा,...कभी खुद को आईने के सामने नंगा देखा है, भद्दे और बदकार लगते हो...शालीनता, मानवता दोनों आपके इन्तेजार में हैं विकास की गंगा में नहाना और सज्जनता का डियो लगाना पर्याप्त नहीं है. किसी महिला को नंगा करके गधे पर बिठाया जाने का क्या अर्थ है, जानते है, आपने तो तालिबान को भी पीछे छोड़ दिया बधाई हो.....

क्या बनाऊं आपके लिए चिकन या मटन....जल्दी बताइए फिर मुझे बाजार से इसे लेने भी तो जाना है, आज बच्चे के स्कूल से भी होमवर्क आया है उसे भी करना है.....

आप मर्द हैं, आज इस जश्न के बहाने उस सभी शक्तियों का शुक्रिया कीजिये. कितनी ख़ुशी की बात है की मर्दानगी बची रहे इसलिए 12 महिलायें क़ानूनी तरीके से क़त्ल कर दी गयीं. कितना अच्छा रहा न, और मजे की एक और बात इसके लिए कोई भी जिम्मेदार नहीं. नसबंदी का क्या है एक दो महीने में लोग भूल जायेंगे, फिर शुरू कर देंगे. अगर औरत बच्चा न जने तो बाँझ और जने तो सरकारी नसबंदी, औरत ही क्यों??? मर्द क्यों नहीं क्या सिर्फ इसीलिए की मर्दानगी अधिक जरुरी है, देश के लिए या समाज के लिए. इस देश में 95 प्रतिशत से अधिक नसबंदी महिलाओं की ही की जाती है. कभी चलियेगा नसबंदी शिविर में भेड़-बकरियों की तरह महिलाओं को घेर-घेर कर, फुसलाकर लाया जाता है, कभी पैसे के नाम पर, कभी पति के दबाव से. कोई पूछता क्यों नहीं की पांच-सात बिस्तरों के अस्पताल में सौ-पचास नसबंदी कैसे हो जाती हैं. कलेक्टर अपना नसबंदी लक्ष्य कैसे पूरा करते हैं...कोई जानना चाहेगा तो सुनिए आशा कार्यकर्ता और आंगनवाडी कार्यकर्त्ता को हड़का हड़का कर लक्ष्य तय किये जाते है, और उनके पीछे शिकारी कुत्तों की तरह विभागीय अधिकारी छोड़ दिए जाते हैं. जो उन्हें नोचकर खाने को तत्पर रहते हैं. कितना आसान है यह सब...खुशियाँ मानिए साहेब आपका नसबंदी का लक्ष्य पूरा हो गया बधाई हो आपको...

अरे, सुना है एक पुलिसवाले ने तमंचे के बल पर एक डांसर को घंटा भर से ज्यादा नचाया. लोगों ने उसका खूब मजा लिया..अब बेचारा क्या करता वो नाचने के लिए राजी ही नहीं हो रही थी. और उसने पैसे भी तो लुटाये...बताइए क्या गलत किया उसने...मर्द जो कहे चुपचाप कर लेना चाहिए...बहस नहीं करना चाहिए...देखो आखिर में मर्दानगी ही जीती न...बधाई हो

चलिए मैं भी कहाँ बातों में लग गयी, मुझे बहुत सारे काम भी तो करने हैं. मैं तो बस आपके जश्न की तयारी कर रही हूँ और आप जरा उठकर मुँह-हाथ धो लीजिये...ये खून से सने लाल हाथों से ही चिकन खायेंगे क्या...(संजीव परसाई)

1 comment:

Shefali Chaturvedi said...

khalis bhartiya iss aurat ko tarah tarah se roz maarkar jashn manaana badastur jaari hai.shukriya iss mahila se ek baar phir milwaakar sharmsaar karne aur kai sawaalon k teeron se dil dimag ek baar phir chhalni karne k liye.