Sunday, September 5, 2010

बन्दर और बाजार


शेयर बाजार का आकर्षण सभी को खींचता है, चंद लोग लाभ कमाते है और अधिकांश अपनी गाढ़ी कमाई लुटा कर घर बैठ जाते हैं। सवाल है कि कितने लोग शेयर बाजार की पेचीदगियों से भली भांति वाकिफ हैं, शेयर बाजार को आधार में रखकर एक बोधकथा प्रस्तुत है, जो यहाँ कि सच्चाई कि एक वानगी प्रस्तुत करती है, उम्मीद है इस खेल को समझने में मददगार होगी........


एक जंगल के किनारे एक गाँव बसा हुआ था वहाँ के लोग खेती करते और अपना जीविकोपार्जन करते थे। एक दिन वहाँ शहर से एक सौदागर आया उसने लोगों से कहा कि उसे बंदर चाहिए, लेकिन किसी ने उसकी सुनी नहीं सब अपने काम में लगे रहे फिर उसने कहा कि वह एक बंदर के बदले सौ रुपए देगा। गाँव के लोगों ने पास के जंगल से खूब सारे बंदर पकडे और सौदागर को सौंप दिए सौदागर ने लोगों को सौ-सौ रुपए दिए। उसने कहा उसे और बंदर चाहिए लोगों का रुझान कम हो गया था , क्योंकि बंदर आसानी से नहीं मिल रहे थे अब उसने कहा कि वह एक बंदर के बदले पांच सौ रुपए देगा।

लोगों ने अपना काम छोडकर बंदर ढूंढे और सौदागर को दिए जल्दी की बंदरों की दूसरी खेप भी आनी बंद हो गई। अब सौदागर ने कहा कि मैं एक बंदर के बदले एक हजार रुपए दूंगा लोगों ने अपना खेती बाडी का काम छोडकर घने जंगल में जाकर बंदर पकडे और उन्हें सौदागर को सौंप दिया जल्दी ही बंदरों की और आवक बंद हुई। सौदागर ने कहा कि शहर से मांग आई है कि और बंदर चाहिए मैं अभी शहर जा रहा हूं, वापस आकर और बंदर खरीदूंगा और एक बंदर के बदले दो हजार रुपए दूंगा। गाँव के लोग परेशान थे कि जंगल में बंदर खत्म हो चुके हैं।

गाँव में बैठे सौदागर के सहायक ने कहा कि मेरे पास सौदागर के काफी बंदर है वह अभी शहर में सौदा करने के लिए गया हुआ है वहाँ काफी ऊंचे दाम में बंदर बिक रहे हैं। आप लोगों को मैं डेढ हजार रुपए में बंदर दे देता हूं आप लोग सौदागर को दो हजार में बेच देना। लोग राजी हो गए सहायक ने सारे बंदर गाँववालों को डेढ-डेढ हजार रुपए में बेच दिए उस दिन के बाद न तो सौदागर और न ही उसका सहायक गाँव में दिखाई दिए। कुछ लोगों ने अपने बंदर वापस जंगल में छोड दिए और कुछ के पास अब भी बंदर पडे हैं वे लोग सौदागर के लौटने का इंतजार कर रहे हें।

4 comments:

उपदेश सक्सेना said...

बहुत खूब. बाज़ार के दीवानों को इस बोधकथा से ज़रूर सबक लेना चाहिए. पुंगीबाज में कुछ नहीं, बहुत कुछ बात है.

संजीव शर्मा/Sanjeev Sharma said...

परसाईजी, सस्ते आलू खरीदकर महँगी चिप्स बेचना,हमारे सेब कोल्ड स्टोरेज में रखकर दोगुनी कीमत पर हमी को देना .....यह सब बन्दरों का सौदा ही तो है.

sanjay saxena said...

Aapan bhi to yahi kar rahe hai

Rajesh Bhat said...

Share market ke asli hal dikhane me ye bodh katha sateek he ....