Tuesday, June 17, 2008

मैं नशे मैं हूँ..........

मैं नशे मैं कुछ ज्यादा ही विनम्र हो जाता हूँ, अंग्रेजी बोलकर अपनी भावनाओं का प्रदर्शन और साथ मैं अपने पुरखों पर हुए अत्याचारों का बदला बड़ी खूबसूरती से लेता हूँ, इस हालत मैं होटल का बैरा भी मेरे लिए सर हो जाता है मैं अपने सहकर्मियों और मित्रों से भाई दादा और बड़े भाई कहकर संबोधन करता हूँ यही वो समय होता है जब मई अपने मित्रों के लिए अपने जान भी हाजिर करने का दम भरता हूँ हालांकि जान देने जैसी नोबत कभी आए नही है पर फिर भी। आज मटके मैं पानी नही है, टंकी के पानी से ही काम चलाना पड़ेगा.
आज भी वही हुआ आज फिर मैं नशे मैं हूँ पर अन्तर ये है की मेरे साथ मेरे अपने परम्पगत साथी नही है। मैं अपने विचारों और अपने तन्हाई के साथ निपट अकेला हूँ. सिर्फ़ अपना गिलास अपनी बोतल और अपनी सोच. पानी भूल गया पानी लेकर आता हूँ, चक्कर क्या हुआ आज पानी नही आया तो कल का बासा पानी ही है खाई कोई बात नही. आज मुझे अपने तनहाये बहुत अच्छी लग रही है आज के दिन या की मौसम मैं न जाने क्या खास बात है दिन तो ऐसे गुजर गया जैसे एक पंछी पिंजरे से उड़ गया हो.
आज मुझे वित्तमंत्री और प्रधानमंत्री पर बिल्कुल भी गुस्सा नही आ रहा की उनकी वजह से ही महंगाई बढ़ी है मुझे थो लग रहा है की ये हमारी ही गलती है की हम इतने सारे क्यों हो गए मेरा विचार है की अगर हम कम से कम होते तो शायद यह नौबत नही आती। ये प्याज सस्ती है आजकल इसीलिए इस समय के लिए अधिक उपयोगी है, और साथ मैं नमक के क्या बात है। इन सब चीजों पर महंगाई का कोई असर नही पड़ना चाहिए, स्टील के गिलास मैं अंदाजा नही बैठता की कितना भरी बन गया. बस ये आखिरी है .
हाँ तो मैं कह रहा था की मुझे उन भ्रष्ट अफसरों और बेईमान नेताओं पर भी गुस्सा नही आ रहा है जो की आम आदमी के विकास के लिए लिए गए विदेशी कर्ज को खा गए और हमारे हिस्से आई महंगाई और टैक्सों की मार आख़िर उनका भी तो पेट है उनके बच्चे भी तो अपने पापा से बड़ी और महंगी कार मांगते ही होंगे। आज मेरा एक दोस्त यह कहने लगा की हमारे देश को इन लोगों ने दीमक की तरह चाट रखा है हमें ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ मुहीम चलाना चाहिए. मुझे ये समझ मैं नही आता की कोई भी किसी की तरक्की से प्रसन्न क्यों नही होता है हर कोई भिखमंगा इन महामानवों को चोर और भ्रस्ताचारी कहने खड़ा हो जाता है अरे तुम अपनी औकात देखो कहाँ तुम सड़क पर खड़े हुए और कहाँ ये सत्ता के गलियारों से गुजरना क्या मजाक है, क्या कोई पैसा हजम कर जाना मजाक है अगर तुम्हें ऐसा लगता है तो तुम ख़ुद क्यों करके नही देख लेते. आज ब्रांड बदला है तो लग रही है पर एक तो और चलेगा.
लोग इन टी वी चैनलों को गाली देने का बहाना धुन्ध्ते रहते हैं लोगों को कोई काम ही नही रह गया है जहाँ चार निठल्ले बैठे और लगे बचबचाने। आजतक पर पर बिल्ली का नाटक दिखा रहे हैं नेता को दस्त लग गए और फलाँ अभिनेत्री को जुकाम हो गया. ख़बरों के नाम पर हर कछू दिखा रहे है ख़बरों के नाम पर चबा रहे है दर्शक को चू.... समझ रहे है आदि आदि इत्यादी . कल कांच का गिलास जरूर खरीद कर लाऊँगा. मेरे समझ मैं ये नही आता की आप लोगों को कोई और काम नही है जो इन टी वी चैनलों के ही सामने बैठे रहते है यार कुछ काम धम करो वे बिल कुत्ता चूहा या की आग लूगद दिखाए आप को क्या करना है आपको बुरा लग रहा है तो मत देखो यार यदि वे ये सब नही करेंगे तो उनके चौबीस घंटे क्या तुम तेर करोगे बकवास करते हैं भेन के .....अब थोडी सी तो और बची है बक एक कर्रा और ओर ये बोतल गए बाहर सुनो साले मुझे बताओ तुम सड़क पर ही मूतते हो , बिना टिकेट ट्रेन मैं चढ़ जाते हो, तुम पटापट औलादें पैदा कर रहे हो, तुम साले बिजली चोरी करते हो, तुम पडोसन पर बुरी नीयत रखते हो, तुम सब्जी वाले से उधार लेते हो पैसा खा जाना तुम्हारी फितरत है, टैक्सों की चोरी तुम करते हो, और तुम भेन .....बाबु ऑफिस मैं बिना रिश्वत लिए कोई काम नही करते हो, और तू बनिए भो......के चोट्टे सामान कम तोलता है, और तुम मास्टर स्कूल जाते हो और पढ़ते नही हो बच्चों से घर पर ट्यूशन पढने आने का कहते हो, और तू आम आदमी मजदूर कही के मादर.......तू कहाँ का दूध का धुला है हमें क्या मालूम नही है. इन मादर......नेताओं को देखोगे, अधिकारियों को देखोगे, दलालों को देखोगे पर अपने आप को नही देखोगे. तुम्हारी तो फिर ......., नेताओं खाजाओ मादर.......हमें भी खालो तेरी ........ सुंडी साले , मोबाइल कहाँ है यार यही तो रखा था ये मिल गया साले आज तुम को देखता हूँ आभी विधायक को फोन लगाता हूँ -----
- विधायक जी है
- हाँ बोल रहा हूँ
- मैं राकेश बोल रहा हूँ। विधायकजी, मेरे काम का क्या हुआ,
- इतनी रात को क्यों फोन किया, सुबह बात करना
- क्यों बुरा लगा क्या भेन के.........तू चोर है मेरी नौकरी के पैसे खा गया अबकी आना मेरे यहाँ वोट लेने तेरी माँ ........
- ऐ मुह सम्भालके बात कर नही तो अभी आऊं तेरे घर मादर.......
- तुने मेरी जिन्दगी बरबाद कर दी
-हाँ चल अब तू फोन काट नही तो थाने मैं बंद करवा के दो जूते और लग्वाऊंगा (फोन कट गया) विधायक तेरी तो ...............और तेरी पुलिस की भी। सूखी रोटी खिलाती नही है रोटी जान दो यार वैसे ही .......पानी......................हट तुम्हारी की ...................साहूकार.....................................डिग्री...............खुर्र खुर्र खुर्र खुर्र खुर्र ।

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