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Monday, June 23, 2025

हत्याओं की नुमाइश

पिछले महीने एक वीडियो आया था। जिसमें दिखाया गया था कि इजराइल द्वारा गजा में ध्वस्त किए गए इलाकों को इसराइली जनता के लिए पर्यटन स्थल बनाया गया है। लोग बोट में जाते हैं, और गजा के नरसंहार और बर्बादी का आनंद लेते हैं। कुछ गाइड भी हैं जो इस बर्बादी की कहानी को इजराइल की दृष्टि से रस ले लेकर सुनाते हैं। वैसा ही जैसे ब्रिटेन जलियांवाला बाग हत्याकांड के बारे में सुनाता था।
खैर हमने देश और दुनिया में कट्टरपंथ के कई रूप देखे हैं, धर्म के नाम पर हत्याएं, ऊपर वाले, परंपराओं के नाम पर लोगों को दबाना, रंग, लिंग, जाति, वर्ण के आधार पर गरीबों मजलूमों को उनके अधिकारों से वंचित करना। येन केन सत्ता प्रतिष्ठान पर आधिपत्य बनाए रखना भी इसी सोच का एक रूप है। लेकिन जो इजराइल ने गजा के साथ किया, उससे कई गुना बुरा उसने अपनी समर्थक जनता के साथ किया। आज भी जो हिटलर या इसके जैसे किसी के कारनामे सुनता है, गुस्से और दुख से भर जाता है। लेकिन इजराइल ने अपनी जनता को कौन सी घुट्टी पिलाई होगी, वो आम लोगों की मौतों पर हंस रही थी। 
विदेश नीति तो जानते समझते नहीं, लेकिन इजराइल ने कई युद्ध लड़े, कब्जे किए नरसंहार किए। उसके उलट ईरान ने पिछले बीस सालों से कोई युद्ध न किया। न ही किसी पर हमला किया। उस देश पर ईरान ने यह बहाना लेकर हमला किया कि ये मानवता का दुश्मन देश है। नेतनयाहू ने अपने देश को बर्बादी के कगार पर लाया, सत्ता से हटा न दिया जाए, इसीलिए हमास का बहाना ले गजा को निशाना बनाया। वो ईरान में सत्ता परिवर्तन की वकालत कर रहा है। ऐसे और भी उदाहरण हैं। राजा, प्रजा के बीच पिता और संतान का रिश्ता होता है। कौन पिता अपनी संतान को आतताई, क्रूर, असंवेदनशील बनाना चाहता है।

मुद्दे की बात यह है कि यह बात इजराइल की जनता को समझ में नहीं आ रही है। सत्ता की सनक, और उसे खो देने के डर से घबराए सत्ताधीश इस तरह के हथकंडे अपनाते हैं। पब्लिक मरे तो मरे, बस जलवा बना रहे। 
आज हालात बदल गए, नागरिक अपनी जान की भीख मांग रहे हैं। आखिर मांगें भी क्यों नहीं? यह सब जब रचा जा रहा था, तब सब मजे ले रहे थे। राष्ट्रवाद का चूरन जब उनको चटाया जा रहा था, तब यही लोग बीबी मेलेख, बीबी मेलेख (यानी बीबी हमारा राजा, बीबी नेतन्याहू का उपनाम है) का नारा लगा रहे थे। अब मौत सर पर है, इजराइल अमेरिका की आसपर है। 
अमेरिकी जनता अब भी युद्ध में शामिल न होने पर जोर दे रही है। जाहिर है, अमेरिकी जनता, जाहिल नहीं है।
Sanjeev Persai

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