Friday, January 20, 2017

अथ श्री जल्ली-कट्टू कथा!!!

(संजीव परसाई) भारत के हृदयस्थल मध्यप्रदेश के भोपाल नगर में एक सुखी परिवार रहता था। पति रोज काम पर जाता, पत्नि घर के काम   पूरे कर टीवी देखती। वो सास बहु के सीरियल देख बोर हो रही थी। एक बार चैनल बदलते बदलते वो समाचार चैनल देखने लगी। उसकी नजर एक खबर पर पड़ी जो एक परंपरागत खेल 'जल्ली कट्टु' के बारे में थी।
जब शाम को पति आया, तो पत्नी ने पूछा- सुनते हो जी ये जल्ली कट्टू क्या होता है?
पति ने बात को टालते हुए कहा - एक खेल है। थाली लगाते हुए बोली-अजी ऐसा क्या खेल है, जिसपर अदालत रोक लगाना चाहती है। पति बात गोल गोल घुमाने लगा, पत्नी का तीसरा तंतु जागृत हो गया कि कोई तो बात है , जो मोबाईल और अखबार से चिपका रहने वाला पढ़ा लिखा पति बात को गोल गोल घुमा रहा है।
पत्नी के दिमाग में सुई अटक गई, सो अगले दिन दौड़ी दौड़ी मोहल्ले के लाल बुझक्कड़ जी के पास गई और अपना सवाल पूछा। उसने बताया कि - बालिके ये पुरानी बात है, भारत के दक्षिण में एक छोटे से गाँव में पति - पत्नी रहते थे, पति थोड़ा बिगड़ैल था, मोहल्ले में यहाँ वहां बैठकर टाइमपास किया करता था। दिनभर मोबाइल पर लगा रहता। सोशल मीडिया का कोई ऐसा प्लेटफार्म नहीं था, जहाँ वो सक्रिय न हो। घर के काम में हाथ न बंटाता तो पत्नी आये दिन उसे जली-कटी सुनाते रहती थी। हालांकि पूरे गाँव के मर्दों का यही हाल था। एक बार गर्मी के दिन में पत्नी ने सस्ती आइसक्रीम खा ली, सो उसका गला बंद हो गया। पति खुश हो गया और ज्यादा मनमानी करने लगा। अगले दिन पत्नी ने दूध लाने को पैसे दिए, तो पति मोबाइल डाटा रिचार्ज करवा कर आ गया। गुस्से से बिफरी पत्नी ने उसे बिगड़ैल सांड के सामने खड़ा कर दिया। सांड ने पटक पटक के पति को बेहाल कर दिया। लेकिन तब से पति पूरी तरह से सुधर गया। इस घटना से सबक लेकर गाँव की सारी महिलाओं ने भी यही नुस्खा अपनाया, और सफल रहीं। तब सभी ने तय किया कि अब रोज-रोज जली-कटी सुनाने से अच्छा है, जब भी पति कुछ गड़बड़ करें उनको बिगड़ैल सांडों के सामने फेंक दो। तब से ये परंपरा बन गई, और कालान्तर में इसे जली-कटी के विकल्प के रूप में सामने आने के कारण जल्ली-कट्टू कहा जाने लगा। पति तो सुधर गये लेकिन आज भी इसी कारण से साल में एक बार मर्दों को सांडों के सामने छोड़ा जाता है।

घर लौटते हुए पत्नी के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई। वो सोचने लगी -अब समय आ गया है कि इस महान परंपरा को मध्यप्रदेश सहित देश के अन्य भागों में भी प्रारम्भ किया जाए। कल ही यह शुभ परंपरा मेरे घर से शुरू होगी।

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