Monday, June 30, 2008

बात उल्लू ने कही गधे को गुस्सा आ गया

कौन है जो फस्ल सारी इस चमन की खा गया
बात उल्लू ने कही गुस्सा गधे को आ गया

प्यार कहते हैं किसे है कौन से जादू का नाम
आंख करती है इशारे दिल का हो जाता है काम
बारहवें बच्चे से अपनी तेरहवीं करवा गया
बात उल्लू ने कही गुस्सा गधे को आ गया

गुस्ल करवाने को कांधे पर लिए जाते हैं लोग
ऐसे बूढे शेख को भी पांचवी शादी का योग
जाते-जाते एक अंधा मौलवी बतला गया
बात उल्लू ने कही गुस्सा गधे को आ गया

जबसे बस्ती में हमारे एक थाना है खुला
घूमता हर जेबकतरा दूध का होकर धुला
चोर थानेदार को फिर आईना दिखला गया
बात उल्लू ने कही गुस्सा गधे को आ गया

चांद पूनम का मुझे कल घर के पिछवाड़े मिला
मन के गुलदस्ते में मेरे फूल गूलर का खिला
ख्वाब टूटा जिस घड़ी दिन में अंधेरा छा गया
बात उल्लू ने कही गुस्सा गधे को आ गया।
पं. सुरेश नीरव भडास से साभार

No comments: