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Wednesday, April 16, 2025

भोपाल टॉकीज - शहर की किस्सा गोई

भोपाल के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है। सबने भोपाल शहर को अपने नजरिए से एक अज़ीज़ के रूप में पेश किया है। सभी ने भोपाल की संस्कृति, इतिहास, स्थापत्य और आम लोगों के बारे में शानदार वर्णन किया है। हाल ही में इसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए, भोपाल के ही लेखक और व्यंग्यकार संजीव परसाई की नई किताब "भोपाल टॉकीज" प्रकाशित हुई है। इस किताब की आजकल सोशल मीडिया और साहित्य जगत में चर्चा है। इस किताब में लेखक ने भोपाल को अपनी नजर से देखने की कोशिश की है। लेखक का दावा है, कि इस किताब को पढ़ने के बाद जो लोग भोपाल से हैं या जो भोपाल में हैं उनके दिल में एक भोपाल आकार लेगा। शुरुआत में ही संजीव लिखते हैं कि यह किताब असल में शहर का उधार है, हालांकि शहर ने मांगा कभी नहीं। साफ लगता है कि लेखक का भोपालियत से लगाव है।

लेखक ने भोपाल को रानी कमलापति से शुरू करके, बेगमों का राज, भोपाल की स्थापना, गठन, भोपाल के आम लोगों की कहानियां, बतोलेबाज़ी, आज का भोपाल सबको एक कड़ी में पिरोया है। लेखक का कहना है कि ये कहानियां कोई भी पढ़ेगा, उसका भोपाल से एक रिश्ता जरूर बन जाएगा। शुरुआत में ही वो लिखते हैं कि भोपाल किसी भी दूसरे बड़े शहर से किसी मामले में कम नहीं है, लेकिन उसे जो स्थान मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला। अलबत्ता इसके कि अच्छे खासे शहर को जर्दा, पर्दा, नमर्दा का कहकर चिढ़ाया गया। अब दुनिया इसे गैसकांड वाले भोपाल से भी जानती है। 

किताब को पांच भागों में बांटा गया है। भोपाल के कमलापति, बेगमों के किस्सों के बाद भोपाल का विलय और बनने के किस्से, उसके बाद भोपाल बन बिगड़ रिया है खां वाले हिस्से में भोपाल की गली मोहल्लों के किस्से, और सुनाओ और बताओ से निकले बतोले और आखिरी में आज के भोपाल पर एक नजर डालते हुए लेखक ने अपनी किस्सागोई को मुकम्मल किया है।

किताब "भोपाल टॉकीज" को लोक प्रकाशन भोपाल ने प्रकाशित किया है। 195 पेज की यह किताब अमेजन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। प्रिंटिंग क्वालिटी बेहतर है। 

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