tag:blogger.com,1999:blog-3050103271105030199.post7967840445273507341..comments2023-03-22T07:43:53.707-07:00Comments on pungibaaj: कर दे मुश्किल जीना - बाजार कमीनाsanjeev persaihttp://www.blogger.com/profile/14857105391410578912noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-3050103271105030199.post-63110092493085732392014-09-30T04:42:45.833-07:002014-09-30T04:42:45.833-07:00आपसे सहमत हूँ और प्रचार तंत्र इतना तगड़ा है की उससे...आपसे सहमत हूँ और प्रचार तंत्र इतना तगड़ा है की उससे बचकर रहना नामुमकिन होता जा रहा है. उसने घर से आगे जाकर हमारे मन में घुसपैठ कर ली है. <br />कोई जादू सा हो रहा जिसकी जरुरत नहीं उसे भी खरीदने के लिए मजबूर हो जाते हैं कर दिए जाते हैं. सुसम्पन्न वर्ग के लिए यह हालात ठीक कहे जा सकते हैं पर मध्यम वर्ग के लिए सब बहुत भयावह हैअलकेशnoreply@blogger.com