अनुपमा को उसकी माँ ने ही मार डाला आखिर क्यों ? ये सवाल आज लगातार सता रहा है, क्योंकि एक स्त्री ही स्त्री की दुश्मन कैसे हो सकती है. पश्चाताप इस बात का है की स्त्री निर्दोष है , क्योंकि उसपर होने वाले हर प्रहार के लिए पुरुष ही दोषी है.
परन्तु हे स्त्री कौन तुम्हें स्त्री विरोधी होने के लिए प्रेरित करता है, आखिर कौन है वो जो तुम्हें पुत्रजन्म पर थाली पीटने को मजबूर करता है और कन्या जन्म पर रोने को भी, पहले तो तुम अज्ञानता और अबला होने का हवाला देकर अपने स्त्रीत्व को ही चुनौती दे देती थी लेकिन अब शायद परिस्थितियाँ बदल रही हैं,
वो कौन है जो तुम्हें अपने पुत्र की तुलना में पुत्री को अधिकार देने से वंचित करता है, क्या तुम्हारा दायित्व नहीं बनता की अपने खून में भेद न होने दो, अगर बेटा तुम्हारा वंश चलने की ताकत रखता है तो क्या तुम अपनी बेटी की सृष्टि का नवनिर्माण करने की ताकत से अनजान हो क्या ?
आखिर ऐसा ही क्यों होता है की कोई भी स्टोव सिर्फ बहु पर ही फटता है न की किसी सास पर और मुझे ये भी तो बताइए की अगर अनुपमा का भाई अपनी मर्जी से शादी करना चाहता तो क्या आप उसे भी इसी तरह मार देते.....जवाब दीजिए ....बोलिए न.....हूं..
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3 comments:
अनुपमा की मौत का जिम्मेदार बालातकारी प्रियभांसु है जो अपनी काम पूर्ति के लिए उसे गर्भबती तो बना सकता है पर कोर्ट जाकर शादी करने की जहमत नहीं उठा सकता। ऐसे लोग मानबता के सत्रु हैं
पढ़कर सन्न रह गया. पुंगीबाज इतनी संवेदनशील धुन भी बजा सकता है, इसका इल्म नहीं था. एक अच्छी प्रस्तुति के लिए फिर बधाई. प्रतिक्रिया को कोई शब्द नहीं सूझ रहे हैं.HTF जी प्रियभांशु यदि बलात्कार का दोषी है तो अनुपमा की माँ या उसके कातिलों ने कौनसा राष्ट्रपति मैडल जीतने लायक कर्म किया है? क्या आप नहीं जानते कि अनुपमा झारखंड से लौटकर प्रियभांशु से शादी करने वाली थी.
पढ़कर सन्न रह गया. पुंगीबाज इतनी संवेदनशील धुन भी बजा सकता है, इसका इल्म नहीं था. एक अच्छी प्रस्तुति के लिए फिर बधाई. प्रतिक्रिया को कोई शब्द नहीं सूझ रहे हैं.HTF जी प्रियभांशु यदि बलात्कार का दोषी है तो अनुपमा की माँ या उसके कातिलों ने कौनसा राष्ट्रपति मैडल जीतने लायक कर्म किया है? क्या आप नहीं जानते कि अनुपमा झारखंड से लौटकर प्रियभांशु से शादी करने वाली थी.
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